Sunday, 2 June 2013

क्या खेलों में सट्टेबाजी को मान्यता दी जानी चाहिए ?

मैं इसी उधेड़बुन में पीछले कई दिनों से लगा हुआ हूं कि क्या खेलों में सट्टेबाजी को वैधानिक मान्यता दी जानी चाहिए या नहीं ? वास्तव में यह बहुत जटील प्रश्न है क्यों कि मेरा मानना है कि खेलों में जो सबसे बड़ी बात होती है वह है खेल की भावना, जिससे खेल खत्म होने के बाद भी खिलाडि़यों के बीच कोई विद्वेष की भावना शेष नहीं रह जाती और हम एक स्वस्थ प्रतिस्पिर्धा देख पाते हैं। यही एक भावना है जिससे हम अपने को और अपने देश के सम्मान को भी जोड़ कर देखते हैं। यदि खेल भावना की जगह आर्थिक प्रतिस्पर्धा स्थान ले लेगी , जब खिलाड़ी अपने देश और देशवासियों के सम्मान और मनोरंजन के लिए न खेल कर आार्थक वजहों से खेलने लगेंगे तो हमारे खेल से जुड़ाव की वजह ही क्या रह जाएगी...

Saturday, 1 June 2013

सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी से पहले..

सार्थक आई.ए.एस. लखनऊ, जो कि सिविल सेवा की परीक्षा की कोचिंग होने के नाते हमारे पास ज्यादातर लोग इस परीक्षा की तैयारी के विषय में पूछ-ताछ के लिए आते रहते हैं। अभी तक कई लोगों के द्वारा परामर्श के दौरान पूछे गये प्रश्नों के आधार पर मैं आज सामान्य तौर पर कुछ प्रश्नों एवं उसकी धारणाओं को इस लेख में प्रश्न और उत्तर के रूप में बताना चाहूंगा, यह मेरी व्यक्तिगत राय है आशा करता हूं कि इसे आप समझने प्रयत्न करेंगे.... प्रश्नः सर, मैं आइ.ए.एस तो बनना चाहता हूं, पर मैं इसके बारे में कुछ जानता नहीं हूं ? उत्तरः यह एक सामान्य सी बात है जिसमें कोई घबराने की बात नहीं है, बस मेंरे ख्याल से आपको पहले ये समझ लेना चाहिए की आप आइ.ए.एस. ही क्यों बनना चाहते हैं, कहीं...

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