Monday, 28 April 2014

Foundations and basics of IAS preparation in lucknow



Foundations and basics of IAS preparation in lucknow

Tuesday, 22 April 2014

IAS preparation in Lucknow

News Paper study play a key roll in IAS Preparation, but mostly candidate confused that how to study it. I would also like to tell you that it is very boring  but essential effort to win this exam.In this video; you would be able to know that how to read news paper for IAS exam Preparation.


Friday, 18 April 2014

भारतीय राजनीति के विशेष पहलू और केजरीवाल

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भारतीय राजनीति ही नहीं वरन् दुनियां की राजनीति में अक्सर आदर्शवाद से भी हटकर एक यथार्थवाद पाया जाता है। आईए हम आज इसी पर चर्चा करते है। अभी हाल ही में हमारे भारतवर्ष के पटल पर एक और आदर्शवादी और कर्मठ नेता आया जिसे हम केजरीवाल के नाम से जानते हैै, अन्ना जी के साथ जनलोकपाल का मुद्दा लेकर आगे बढ़े और राजनीतिक गलियारों तक में छा गए और आत्मविश्वास व जनता जागरूकता की पराकाष्ठा तो तब हो गई जब जनता ने किसी गैर राजनीतिक समाजसेवी को दिल्ली का मुख्यमंत्री ही बना दिया।
जनाब, देखिए कि राजनीति अपने आप में एक विज्ञान है, एैसा इसलिए की यदि जनता असंन्तुष्ट होगी तो देश में राजनीतिक अस्थिरता या फिर विद्रोह होने लगते हैं। अधिकतम सीमा में देश की राजनीतिक तंत्र ही बदल जाया करता है जैसे लोकतंत्र से तानाशाही तंत्र या फिर सैन्य तंत्र आदि। यह अवश्यवभांवि है इसलिए राजनीति को एक विज्ञान का दर्जा दिया गया अर्थात घटनाओं के परिणाम भी पूर्व निश्चित देखे जाते हैं।
राजनीति के महत्वपूर्ण कार्य देश में एक एैसे नीति का निर्धारण एंव क्रिन्यान्वयन करना है जिससे देश का विकास हो और देशवासीयों में खुशहाली आ सके, सामान्यतः सीधा सा दिखने वाला वाला यह कार्य वास्तव में बहुत ही टेढ़ा है। भईया, देखिए देश में खुशहाली की बयार लाने के लिए अर्थात सही नीति बनाने के लिए सिर्फ नीति निर्माण ही जरूरी नहीं है बल्कि उसके लिए देश में एक विश्वास, जोश और समर्थन की अत्यंत जरूरत पड़ती है। लेकिन इसमें सबसे बड़ी समस्या अपने विपक्षीयों को समझाने की है जो की ना मानने की कसम खा कर बैठे हुए होते है। मै मानता हूं की प्रबल विपक्ष देश में लोकतंत्र की जड़ों को और मजबूत बनाता है पर साहब यह तो जरूरी नहीं है कि सरकार की हर नीति और फैसला ही गलत हो। खैर, अगर बाहर से समर्थन दे रही पार्टियां भी इसमें शामिल हों तो बात ही अलग है, साहब वह तो सीधे सीधे मोल भाव या फिर समर्थन वापस लेने की धमकी तक दे डालती है और यह नहीं जानती की जनता ने उन्हे चुन कर देश चलाने के लिए भेजा है न कि समर्थन की आंख मिचैली खेलने के लिए मतलब यह की अगर आप संतुष्ट नही हैं तो आप ही रास्ता बताईये।
अर्थात राजनीति विज्ञान सिर्फ देश में नीति निर्धारण करना और उसे सफलता पूर्वक चलाना ही नहीं बल्कि उसे पूरा करने के लिए अपने पार्टी में अपने प्रति विश्वास और उनकी महत्वाकांक्षा का पता होना चाहिए नही ंतो कुछ भी हो जाए अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ा करता है, फिर आप कितने भी सही हो सभी आपको ही कोसेंगे भले ही उनका काम आप ही से बनता हो।