Friday 22 November 2013

सचिन का खेल और व्यक्तित्व

यहां पीछले सप्ताह से मैंने अलविदा सचिन की गूंज सुनी और वाकई दुख भी हो रहा था कि अब सचिन की वन डे पारीयां देखने को नहीं मिलेंगी लेकिन यह भी है वह पारीयां जो हमने देख रखी हैं वे भूलाये से भी नहीं भूलेंगी।
लेकिन मुझे लगता है कि सचिन अपने खेल से कहीं ज्यादा अपने व्यक्तित्व से लोगो को प्रभावित कर रखा है, देखिये इसे अन्यथा न लें तो इस समय जिस तरह का खेल देखने को मिल रहा है शायद भविष्य में ऐसा हो कि सचिन के रिकार्ड टूट जाएं और वैसे भी रिकार्ड टूटने के लिए ही बनते हैं लेकिन जिस गंभीरता और सौम्यता से सचिन ने अपनी सफलता को संभाला है वह शायद ही फिर कभी दिखे और यही वजह है कि आप और हम सब सचिन को सिर्फ खेल की वजह से ही नहीं उनके व्यक्तित्व के वजह से ज्यादा चाहते हैं।
इसलिए मैं सीधे तौर पर कह सकता हूं कि सचिन को कभी अलविदा नहीं कहा जा सकता क्यों कि वह तो हमारे दिल में बसते हैं और अपने खेल और व्यक्तित्व के कारण हमेशा आदर्श के रूप में याद रखे जाऐंगे।
और अन्ततः हम कह सकते हैं कि हां! हमने सचिन के रूप में इतिहास देखा है।

"सचिन तुम महान आत्मा हो जो हमें और आने वाली पीढ़ीयों को हमेंशा आदर्श की प्रेरणा देते रहोगे।"
धन्यवाद