Sunday 28 July 2013

हमारा पंजाब और कृषिगत् ढांचा

आप सभी जानते ही होंगे की हमारा पंजाब खेती खलिहानी और लस्सी के लिए मशहूर रहा है लेकिन इसके साथ ही कुछ विडंबनाएं भी पीछले कुछ दशकों में देखी गई है कि कृषि क्षेत्र में जहां पंजाब ने एक ओर तरक्की की है वहीं दूसरी ओर कृषि करने संरचनात्मक तरीकों में कुछ खास बदलाव नहीं आया है बल्कि जागरूकता न हो पाने के कारण कृषि तकनीकों का जो इस्तेमाल हो रहा है वही गलत ढंग से हो रहा है, मेरा यहां आशय रासायनिक खादों और कीटनाशकों के अंधाधुध और मात्रा से कहीं ज्यादा प्रयोग से है. ठीक वहीं सिंचाई के लिए जो तरीका आज भी ज्यादातर जगहों पर अपनाया जा रहा है उससे भूजल का स्त्तर कहीं ज्यादा तेजी से नीचे गिर रहा है, हमें अब तक तो इस सच्चाई को जान ही लेना चाहिए की पीने योग्य पानी का भारत के मध्य प्रमुख स्त्रोतों में भू जल ही है जिसका सर्वाधिक प्रयोग बेढंगे तरीके या फिर कह सकते हैं कि पुरातन तरीकों से कृषि क्षेत्रों में किया जा रहा है. सच मानिये मै इसका दोषी कृषकों का नहीं मानता क्यों कि हमारा कृषिगत् ढांचा ही पुरातन है और सरकार द्वारा किए जाने वाले सारे प्रयास शिक्षा और जनसंख्या वृद्धि दर के बढ़ने के कारण कहीं न कहीं असफल हो ही जाते हैं।
ऐसे में जो भूजल दोहन और पीने योग्य पानी की आवश्यकता के बीच तालमेल बिठाने के लिए जागरूकता, इच्छा शक्ति जैसे आादि कई चुनौतियां तो हैं ही साथ ही हमारी सरकारों के द्वारा प्रयास भी हो रहे जिसके लिए हाल ही में लुधियाना में एक कदम उठाया गया .
सूचना और प्रसारण मंत्री श्री मनीष ति‍वारी ने कहा है कि‍ यूपीए सरकार सभी को शुद्ध और स्‍वच्‍छ पेय जल उपलब्‍ध कराने को प्रति‍बद्ध है। लुधि‍याना में आज कई जनसभाओं को संबेाधि‍त करते हुए श्री ति‍वारी ने पंजाब में शुद्ध और स्‍वच्‍छ पेय जल उपलब्‍ध न होने पर आश्‍चर्य व्‍यक्‍त कि‍या। उन्‍होनें ये भी कहा कि‍ प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सि‍ह और यूपीए अध्‍यक्ष श्रीमती सोनि‍या गांधी के नेतृतव में यूपीए सरकार का अगला कदम देश में समूची जनसंख्‍या को स्‍वच्‍छ और शुद्ध पेयजल उपलब्‍ध कराना होगा। 
श्री ति‍वारी ने कहा कि‍ 12वीं पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत राजीव गांधी पेयजल और स्‍वच्‍छता मि‍शन की राशि‍ कई गुना बढ़ा दी गई है। इस मि‍शन के लि‍ए एक लाख सात हजार पंद्रह करोड़ की राशि‍ निर्धारि‍त की गई। उन्‍होंने कहा कि‍ सरकार ने जन कल्‍याण के लि‍ए अधि‍कारों पर आधारि‍त दृष्‍टि‍कोण अपनाया है। सूचना के अधि‍कार, शि‍क्षा के अधि‍कार मनरेगा के अंतर्गत रोजगार के अधि‍कार के बाद अब जनता को अनाज का अधि‍कार दि‍या गया है। उन्‍होंने कहा कि‍ खाद्य सुरक्षा अध्‍यादेश लागू हो जाने से 81 करोड़ से अधि‍क पात्र नागरि‍क 3 रुपए की मामूली दर पर 1 कि‍लोग्राम चावल, 2 रुपए की दर पर एक कि‍लो गेहूं और एक रुपए की दर पर मोटा अनाज लेने के हकदार होंगे। 

यह उन दिनों कि बात हैं




यह उन दिनों कि बात हैं जब मैं नया नया ब्लाग लिखना शुरू किया था, उन्ही ब्लाग में से एक ब्लाग आज आपको प्रषित कर रहा हूं। परंतु गुजारिश के साथ कह रहा हूं की यह मेरी अपनी स्वंय की राय मात्र है और इसे अन्यथा न लेकर परिपक्वता से लें।



हमें क्षमा करें यह ब्लाग मैने अपनी बातों को सामने रखने के लिए किया है इससे मुझे किसी को दुःखी करने का कोई इरादा नहीं है

भाई मैं तो इतिहास का विद्यार्थी रहा हूं और अक्सर मैं परिस्थितियों को इतिहास से तौलने की कोशिश करता हूंए इससे समय के साथ समाज में आये बदलावों एंव परिस्थितियों को साफ तौर पर समझा जा सकता हैए खैर मेरी राय तो यही है।

पहले होता था कि यदि सेना हार जाती या फिर प्रजा पर कोई परेशानी आती थी तो नेतृत्व को अपनी को अपनी जिम्मेदारी लेनी पड़ती थीए मेरे यहां कहने का मतलब है कि आजकल हमारी केन्द्र सरकार भी कुछ ऐसा ही कर रही है एक तरफ तो महंगाई बढा रही है तो दूसरी तरफ कहती है कि मंहगाई रोकना मेंरे वश की बात नहीं है अर्थात हमारी विवश कठपुतली केंद्र सरकारए विवश लोगों को सामने रख कर यह साफ उदाहरण दे रही है कि उनमें सरकार चलाने कि योग्यता तो नहीं है लेकिन हमें बेवकूफ बनाए रख सकती है और इस तरह इसने सारे इस बवाल की जिम्मेदारी भी ले ली और बच भी गये।

संवैधानिक रूप से कहा जाता है कि हम लोकतंत्र में रहते हैं और हमारा देश लोकतांत्रिक हैए मोटा. मोटा कहीं लिखा था कि इसका मतलब है जनता का शासनए जनता के द्वाराए जनता के लिए होता है पर यहां ऐसा कहां है घ् कृपा करके कोई हमें बता सकता हैघ्

हांण्ण्ण्ण् यहां अवश्य जनता का शासन हो रहा है और जनता के द्वारा ही हो रहा है लेकिन जनता के लिए ही हो रहा है ये बात मेंरी समझ में नहीं आतीए अरे साहब हम जनता हैं जो भूखए प्यासए नंगेपन से मर रहे हैं उपर से महंगाई की महामारी ने हमें ऐसी दोराहे पर लाकर खडा कर दिया है जहां ना हम आत्म हत्या कर सकते हैं क्यों कि हमारे पीछे हमारी पीढी है और ना ही एैसी शर्मनाक जिंदगी जी सकते हैं जहां रोज ही अपने परिवार के भूखे सोने का डर सताता होए आखिर हम मध्यमवर्गीय लोगों की सुनने वाला कौन है।

आखिर हमने आपकों सरकार बनाया और आप अक्सर सभाओं में हमारी बातों को समझने और महसूस करने का ढोंग भी रचाते रहते हो अभिनय की पराकाष्ठा तो तब हो जाती है कि आपके युवराज हमारे यहां आकर खाते हैंए सोते हैं और फिर भूल जाते हैं कि वे जहां रोटी खाये थे वे मजदूर की कमाई थी और आज आपकी सरकार ने ऐसा किया है कि अब उस कमाई में रोटी नहीं आती है शायद अब घर भी उसे बेचना पडे फिर अगले चुनाव में कहां आ कर विश्राम किजीएगा जनाब घ्

हांए यह सत्य है कि आपको पीछले 60 सालों के शासन का तजुर्बा है जिसमें कुछ तो अंग्रेजी औपनिवेशकों ने आपको सीखाया थाए तभी तो आप अच्छी तरह से जानते हो कि कैसे घोटाले करने चाहिए और कैसे छिपाना चाहिए ए किसी तरह से यदि छिप नहीं पाया तो जनता को उल्लू कैसे बनाए रखे वाकई जवाब नहीं आपका आपतो वाकई सबके बाप हैं।

मै नाकारात्मक व्यक्ति नहीं हूं और ना ही नाकारात्मक सोच रहा हूं ए मेरे लिहाज से अच्छा शासक एंव शासन वह होता है जो प्राथमिक रूप से पहले देश के बारे में सोचे फिर अपने जनता के परिस्थिति के बारे में परंतु यहां तो आप पहले अपने काॅमनवेल्थए फिर 2 जीए फिर आदर्शए फिर टाट्रा आदि पता नहीं कितने ऐसे है जो पता है और जो नहीं पता उसकी जानकारी तो सौभाग्य से आप ही को हैए के बारे में सोचते है बाद में ये सारी चीजें आती है ऐसे में आप कहेंगे की इन सभी की जांच चल रही है और दोषीयों को सजा मिलेगीपर सरकार उन खरबों रूपयों का क्या जो विदेशी बैंको का सैर कर रहे हैए साहब वो मुद्रांए भी अपने देश की है जरा पता लगा लो यार आखिर जिम्मेदारी भी तो एक चीज होती है ये सब आपके नाक के नीचे हुआ कैसे घ्अरे हां समझ गये कि सीधे.सीधे आपको अपने मंत्रालयों एंव उनके खर्चों का पता कैसे होगा आपको तो अपनी कुर्सी बचाए रखनी है बाकी जो आपके गठबंधन के लोग बचा ले !ं अरे ! पंच अंगुल माना कि शासन चलाना आसान काम नहीं है परंतु लेकिन शोषण करना भी आपका काम नहीं होना चाहिए।

अब आप कहोगे शोषण कहां किया मैने यह तो राजनीतिक साजिश है ये वक्तव्य तो किसी और विपक्षी दल से है तो सरकार ऐसा बिलकुल नहीं है हम सामान्य जनता हैं और जरा हमको भी मौका दें तो हम आंकडों में आपको बतायें कि आपने शोषण कहां.कहां किया है और कर रहे हैं पर क्या फायदा ये कोई होली तो है नहीं कि कोई गाढा रंग आपके मुंह पर लगांए सो तो आप जानते ही हैं।

देखिए कुछ न कुछ तो सारी सरकार करती है पर इस समय आप कुछ ज्यादा ही कर रहे है । हम तो अपने भारतीय नागरिक हाने का फर्ज निभा रहे हैं कि हमारी सरकार स्थिर और स्थायी बनी रहे ए इसलिए आपको चेता रहे हैं कि समझ जाईये वरना इतिहास में आपको पढा था और कहीं ऐसा न हो कि मेरे बच्चे भी आपको इतिहास में हीं पढे।

जी धन्यवाद

सिविल सेवा की परीक्षा की तैयारी के लिए एक मार्ग दर्शक

व्यक्तिगत तौर पर मैं सिविल सेवा की परीक्षा की तैयारी के लिए एक मार्ग दर्शक का कार्य करता हूं और आज यही वजह है कि अध्ययन और अध्यापन करते करते किसी भी मुद्दों पर जो देश के प्रति गंभीरता से सोचने की परिपक्वता आयी है वह इसी के कारण है। इसके साथ ही साथ मैं अपने उन सभी गुरूओं और परम मित्रों का धन्यवाद भी देना चाहूंगा की प्रेरणा से मैं अपने सिविल सेवा तैयारी को अब नया आयाम दे पा रहा हूं फिर वह चाहे एक मार्गदर्शक के रूप  में ही क्यों न हो।
  देखिये मैं ये बात साफ तौर पर कह देना चाहूंगा कि सिविल सेवा की तैयारी करने की रणनीति एंव विषयों की समझ और उस पर अपने विचार रखने की ताकत बिलकुल अलग पहलू हैं, यहां यदि मात्र सिविल सेवा में सफल होने की बात की जाय तो बात अलग है अन्यथा यह तैयारी आपको अपने आप ही एक जागरूक नागरिक तो बना ही देती है। अतः हम सफल हों या ना हों परतंु एक जागरूक नागरिक बनकर अपनी देश के प्रति नैतिक जिम्मेदारी तो समझ ही सकते हैं. इसलिए मैं निवेदन करता हूं कि मात्र सफल या असफलता के आधार पर अपनी तैयारी ना करें बल्कि देश के प्रति अपनी जागरूकता एंव जिम्मेदारी के एहसास के साथ तैयारी करें तो यह मान के चलें की आपके तैयारी के सफल होने की भूमिका तो तैयार ही हो गयी है।
                                                                                                                                       
                                                                                                                                         धन्यवाद