Sunday 28 December 2014

पिछले छह माह के दौरान वित्‍त मंत्रालय की प्रमुख उपलब्‍धियां



पिछले छह माह के दौरान वित्‍त मंत्रालय की प्रमुख उपलब्‍धियां और कदम
नई सरकार द्वारा सत्‍ता संभालने के बाद से अब तक वित्‍त मंत्रालय ने अनेक प्रमुख नीतिगत कदम उठाए हैं, अनेक कार्यक्रमों/योजनाओं की घोषणा की है और कई उपलब्‍धियां हासिल की हैं, जिनका ब्‍यौरा कुछ इस तरह से है:-
काले धन पर अंकुश लगाने के लिए कदम
· मई, 2014 में सत्‍ता में आने के बाद वर्तमान सरकार ने प्रथम प्रमुख निर्णय विशेष जांच टीम (एसआईटी) के गठन के रूप में लिया था। कर चोरी या अवैध गतिविधियों से विशाल धनराशि हासिल कर उसे विदेश में जमा कराए जाने पर माननीय उच्‍चतम न्‍यायालय के फैसले पर अमल के लिए एसआईटी का गठन किया गया है।
· कर चोरी की रोकथाम का पुख्‍ता इंतजाम करने के लिए जहां एक ओर बगैर हस्‍तक्षेप वाले उपायों पर ध्‍यान केंद्रित किया गया, वहीं दूसरी ओर काफी बड़ी रकम वाले मामलों में हस्‍तक्षेप से जुड़े उपायों पर विशेष जोर दिया गया, ताकि इस तरह के अपराधियों के खिलाफ जल्‍द से जल्‍द मुकदमा चलाया जा सके।
· कर चोरी की समस्‍या से निपटने के लिए वैश्‍विक स्‍तर पर किए जा रहे प्रयासों से भारत का जुड़ाव सुनिश्‍चित किया गया। इसके तहत एकसमान वैश्‍विक मानक पर अमल को समर्थन दिया गया ताकि पारस्‍परिक आधार पर सूचनाओं का स्‍वत: आदान-प्रदान हो सके। विदेशी केंद्रों में काला धन रखने वाले लोगों के बारे में सूचनाओं का आदान-प्रदान करना भी इसका एक अहम उद्देश्‍य है।
· जहां भी आवश्‍यक प्रतीत हुआ, वहां विधायी कदम उठाए गए। आयकर अधिनियम 1961 की धारा 285बीए में संशोधन भी इसमें शामिल है, जिससे सूचनाओं के स्‍वत: आदान-प्रदान में सहूलियत हुई है। इसके लिए वित्‍त (संख्‍या 2) अधिनियम, 2014 देखें।
प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई)
· सरकार ने एक अन्‍य प्रमुख कदम बैंक खाते खोलने के लिए छेड़े गए विशेष अभियान के रूप में उठाया। प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई) पर अमल के मामले में प्रमुख उपलब्‍धियां हासिल हुई हैं। इस योजना को प्रधानमंत्री द्वारा 28 अगस्‍त, 2014 को लांच किया गया था। हर परिवार के लिए कम-से-कम एक बैंक खाता खोलने का लक्ष्‍य रखा गया था। इसके तहत 26 जनवरी, 2015 तक 7.5 करोड़ बैंक खाते खोले जाने का अनुमान व्‍यक्त किया गया था।
· पीएमजेडीवाई के लिए एक समर्पित वेबसाइट लांच की गई है।
· 23 दिसंबर, 2014 तक पीएमजेडीवाई के तहत 9.91 करोड़ खाते खोले जा चुके हैं।
· 7.39 करोड़ खातों के लिए रुपे कार्ड जारी किए गए हैं।
· 01 दिसंबर, 2014 तक राज्‍यों जैसे गोवा, केरल, त्रिपुरा एवं मध्‍य प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेशों जैसे चंडीगढ़, पुडुचेरी और लक्षद्वीप ने सभी परिवारों के लिए कम-से-कम एक बैंक खाता खोले जाने के मामले में शत-प्रतिशत संतृप्‍ति हासिल कर ली है।
वरिष्‍ठ पेंशन बीमा योजना (वीपीबीवाई)
· केंद्रीय वित्‍त मंत्री श्री अरुण जेटली ने वरिष्‍ठ पेंशन बीमा योजना (वीपीबीवाई) फिर से लांच की, जिससे सीमित संसाधनों वाले समाज के कमजोर तबके के लोग लाभान्‍वित होंगे। इसके तहत देश के वरिष्‍ठ नागरिकों को 500 रुपए से लेकर 5000 रुपए तक की मासिक पेंशन मिलेगी।
· 60 साल या उससे ज्‍यादा उम्र के नागरिकों के हित में संशोधित योजना 15 अगस्‍त, 2014 से लेकर 14 अगस्‍त, 2015 तक खुली रहेगी। इसके तहत उन्‍हें बढ़ती उम्र के दौरान नियमित आय के रूप में वित्‍तीय सुरक्षा सुलभ होगी। पिछली बार की ही तरह इस योजना का संचालन एलआईसी के हाथों में होगा। इस योजना से लोगों के जुड़ने की बदौलत 10,000 करोड़ रुपए से भी ज्‍यादा की धनराशि हासिल होगी। इस तरह यह देश के विकास में संसाधन जुटाने का एक प्रमुख स्रोत बन सकती है। वर्ष 2014-15 के दौरान इस योजना के दायरे में तकरीबन 5 लाख वरिष्‍ठ नागरिकों के आने की संभावना है।
प्रत्‍यक्ष लाभ हस्‍तांतरण (डीबीटी)
· डीबीटी का मुख्‍य उद्देश्‍य नकदी अथवा लाभ को सीधे लाभार्थियों के बैंक खाते में हस्‍तांतरित करना है। खास तौर से आधार नंबर से जुड़े खाते इस पहल के दायरे में आएंगे। इस कदम से अनेक मध्‍यस्‍थ बाहर हो जाएंगे, जिससे समय पर भुगतान करने में भी मदद मिलेगी। केवल लक्षित लाभार्थियों को ही लाभ देना, फर्जी लाभार्थियों को हटाना, दोहराव को टालना और लाभ वितरण प्रणाली को ज्‍यादा कारगर बनाना भी इसके अन्‍य उद्देश्‍य हैं।
· सरकारी वितरण प्रणालियों में पारदर्शिता तथा जवाबदेही सुनिश्‍चित करना और लाभार्थियों को सशक्‍त बनाना भी इस पहल के अन्‍य उद्देश्‍य हैं।
वस्‍तु एवं सेवा कर
· देश में वस्‍तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू करने के लिए लोकसभा में संविधान संशोधन विधेयक पेश किया गया।
· संविधान में प्रस्‍तावित संशोधनों से संसद और राज्‍य विधान सभाओं दोनों को समान सौदे के मामले में वस्‍तुओं एवं सेवाओं की आपूर्ति पर जीएसटी लागू करने के वास्‍ते कानून बनाने का अधिकार मिल जाएगा।
· जीएसटी देश में अप्रत्‍यक्ष कर व्‍यवस्‍था को आसान बना देगा। जीएसटी से कर का दायरा बढ़ेगा और मजबूत आईटी ढांचे की बदौलत बेहतर कर अनुपालन संभव होगा। मूल्‍य वर्द्धन के मामले में एक राज्‍य से दूसरे राज्‍य को इनपुट टैक्‍स क्रेडिट के निर्बाध हस्‍तांतरण की सुविधा कारोबारियों को कर अनुपालन के लिए प्रेरित करेगी। अत: यह उम्‍मीद की जा रही है कि जीएसटी को लागू करने से साझा और निर्बाध भारतीय बाजार उभर कर सामने आएगा, जो आर्थिक विकास में अहम योगदान देगा।
इस विधेयक की प्रमुख विशेषताएं निम्‍नलिखित हैं:-
· एक नई धारा 246ए का प्रस्‍ताव किया गया है जो जीएसटी पर कानून बनाने के लिए केंद्र एवं राज्‍यों दोनों को ही समान अधिकार प्रदान करेगी।
· जीएसटी काउंसिल बनाने के लिए एक नई धारा 279ए का प्रस्‍ताव किया गया है, जो केंद्र एवं राज्‍यों का एक संयुक्‍त फोरम होगा। यह फोरम केंद्रीय वित्‍त मंत्री की अध्‍यक्षता में काम करेगा। हर राज्‍य एवं केंद्र शासित प्रदेश के प्रभारी वित्‍त/कराधान मंत्री अथवा उनके द्वारा मनोनीत मंत्री इसके सदस्‍य होंगे। यह परिषद कर दरों, रियायतों, विवाद निपटान की रूप-रेखा जैसे प्रमुख मुद्दों पर केंद्र एवं राज्‍यों के सामने सिफारिशें पेश करेगी।
· संविधान के तहत ‘विशेष महत्‍व वाली घोषित वस्‍तुओं’ की अवधारणा को समाप्‍त करने का प्रस्‍ताव किया गया है।
· केंद्र जीएसटी पर अमल के कारण राज्‍यों को होने वाले राजस्‍व नुकसान की भरपाई 5 साल तक करेगा। इसके लिए संशोधन विधेयक में प्रावधान किया गया है (मुआवजा राशि आगे चलकर घटती जाएगी, प्रथम तीन वर्षों तक 100 फीसदी, चौथे साल में 75 फीसदी और पांचवें साल में 50 फीसदी भरपाई की जाएगी)।
किसान विकास पत्र
· वर्ष 2014-15 के केंद्रीय बजट के मद्देनजर वित्‍त मंत्री ने 18 नवंबर, 2014 को किसान विकास पत्र (केवीपी) को फिर से लांच किया, ताकि अल्‍प बचत योजनाओं में लोगों का निवेश आकर्षित किया जा सके।
· केवीपी को फिर से लांच करने से न केवल छोटे निवेशकों को सुरक्षित निवेश विकल्‍प मिल गया है, बल्‍कि देश में बचत दर को बढ़ाने में भी इससे मदद मिलेगी। यह स्‍कीम छोटे निवेशकों को धोखाधड़ी वाली योजनाओं से बचाएगी।
· किसान विकास पत्र में परिपक्‍वता अवधि 8 साल 4 महीने है, जिससे केंद्र को इस योजना के तहत काफी लंबे समय के लिए संग्रह हासिल होगा। इसका इस्‍तेमाल केंद्र एवं राज्‍य सरकारों की विकास योजनाओं के वित्‍त पोषण में होगा।
· केवीपी निवेशकों को 1000, 5000, 10000 और 50000 रुपए के मूल्‍य वर्गों में उपलब्‍ध होगा। इसमें निवेश की कोई ऊपरी सीमा नहीं है।
· केवीपी को गिरवी रखकर बैंकों से कर्ज भी लिया जा सकेगा।

पूंजीगत सामान एवं ऑटोमोबाइल क्षेत्र को बढ़ावा
· पूंजीगत सामान एवं ऑटोमोबाइल क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 31 दिसंबर, 2014 तक शुल्‍क रियायत देने का फैसला किया है। यह उम्‍मीद की गई कि इन रियायतों का लाभ उपभोक्‍ताओं को दिया जाएगा। इन रियायतों के दायरे में निम्‍नलिखित वाहन आए हैं:-
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· छोटी कारों, बाइक, स्‍कूटरों, तिपहिया वाहनों और वाणज्‍यिक वाहनों पर शुल्क को 12 फीसदी से घटाकर 8 फीसदी कर दिया गया है।
· मझोली कारों पर शुल्‍क को 24 फीसदी से कम करके 20 फीसदी पर ला दिया गया है।
· बड़ी कारों पर शुल्‍क को 27 फीसदी से घटाकर 24 फीसदी कर दिया गया है।
· एसयूवी पर शुल्क को 30 फीसदी से कम करके 24 फीसदी पर ला दिया गया है।

व्यय संबंधी सुधार
· केंद्रीय वित्त मंत्री ने जुलाई, 2014 में पेश अपने बजट भाषण के दौरान ‘व्यय प्रबंधन आयोग’ की स्थापना करने की भी घोषणा की थी, जो सरकार द्वारा प्रस्तावित व्यय संबंधी सुधारों के विभि‍न्न पहलुओं पर गौर करेगा। इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने आरबीआई के पूर्व गवर्नर श्री बिमल जालान की अध्यक्षता में व्यय प्रबंधन आयोग का गठन किया है। आयोग अन्य बातों के अलावा सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सि‍डी को तर्कसम्मत बनाने पर भी गौर करेगा जिनमें खाद्य सब्सि‍डी, केरोसीन, एलपीजी, उर्वरक सब्सि‍डी इत्यादि शामिल हैं। आयोग चालू वित्त वर्ष में ही अपनी अंतरिम रिपोर्ट पेश कर देगा।
सरकार ने वित्तीय मोर्चे पर समझदारी दिखाने एवं अर्थव्यवस्था के लिए मितव्ययिता के अनेक उपायों की घोषणा की :
· हर मंत्रालय एवं विभाग को गैर-योजना खर्च में 10 फीसदी की अनिवार्य कटौती करनी है।
· सम्मेलनों/सेमिनारों/कार्यशालाओं के आयोजन में मितव्ययिता का अधि‍कतम ख्याल रखा जाना है।
· वाहनों की खरीदारी पर प्रतिबंध।
· सभी तरह की हवाई यात्राओं में अपनी निर्दिष्ट श्रेणी के लिए उपलब्ध न्यूनतम किराये वाले टिकट को ही खरीदना होगा।

अर्थव्यवस्था एवं विकास
· विभि‍न्न सुधारों को लागू करने के साथ-साथ वित्त मंत्रालय द्वारा विश्वास बढ़ाने के लिए किए गए अनेक उपायों से सीपीआई आधारित महंगाई दर सितंबर, 2014 में घटकर 5.2 फीसदी के स्तर पर आ गई। आईआईपी भी सुधर कर सितंबर, 2014 में 2.5 फीसदी की वृद्धि दर हासिल करने में कामयाब रहा।
· भारतीय अर्थव्यवस्था के गति पकड़ने की आशा है। चालू वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर 5.7 फीसदी से लेकर 5.9 फीसदी तक की रेंज में रहने का अनुमान है।
· अप्रैल-जुलाई 2014 के दौरान भारत में एफडीआई का कुल प्रवाह 14.6 अरब डॉलर का रहा, जबकि ठीक एक साल पहले यह आंकड़ा 11.7 अरब डॉलर था।
· चालू खाता घाटे में उल्लेखनीय कमी देखने को मिली है।
· डब्ल्यूपीआई अक्टूबर 2009 के बाद न्यूनतम स्तर पर है, जबकि सीपीआई 8 फीसदी से कम है।
कर संग्रह और कर राहत
· अप्रत्यक्ष कर राजस्व का संग्रह (अनंतिम) अप्रैल-अक्टूबर 2014 में 5.6 फीसदी बढ़कर 2,85,126 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया। यह वर्ष 2014-15 के बजट अनुमान में तय लक्ष्य का 45.7 फीसदी है।
· घरेलू विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के उपाय : सीमा एवं उत्पाद शुल्क के ढांचे में अनेक परिवर्तन किए गए हैं। इसके अलावा इन्वर्टेड ड्यूटी के ढांचे में सुधार भी किया गया है ताकि घरेलू क्षेत्र में विनिर्माण को बढ़ावा मिल सके, नया निवेश आकर्षि‍त हो सके और आईटी, इलेक्ट्रॉनिक्स तथा इस्पात जैसे क्षेत्रों में मूल्य वर्द्धन हो सके।
· स्वच्छ ऊर्जा पहल के तहत कोयला, लिग्नाइट और नरम कोयले पर लगाए गए स्वच्छ ऊर्जा अधि‍भार को प्रति टन 50 रुपये से बढ़ाकर 100 रुपये कर दिया गया है, ताकि स्वच्छ पर्यावरण एवं ऊर्जा के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ ऊर्जा कोष को फि‍र से भरा जा सके।
· प्रत्यक्ष कर संग्रह में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। सरकार ने 1 अप्रैल से लेकर 20 अक्टूबर 2014 तक 2,96,802 करोड़ रुपये के प्रत्यक्ष करों का शुद्ध संग्रह किया है। चालू वित्त वर्ष के लिए लक्ष्य 7,36,221 करोड़ रुपये तय किया गया है, जिसे पाने को लेकर सरकार आश्वस्त नजर आ रही है।
· वर्ष 2014-15 का केंद्रीय बजट पेश करने के दौरान वित्त मंत्री ने व्यक्ति‍गत आयकर छूट सीमा में 50,000 रुपये की वृद्धि करने की घोषणा की। इसका मतलब यह हुआ कि 60 साल से कम उम्र के व्यक्ति‍गत करदाताओं के लिए आयकर छूट सीमा 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये कर दी गई। वहीं, वरिष्ठ नागरिकों के लिए आयकर छूट सीमा को 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दिया गया है।
· आयकर अधि‍नियम की धारा 80सी के तहत निवेश सीमा को भी 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये कर दिया गया है। इसी तरह खुद के इस्तेमाल वाले घर के वास्ते लिए गए कर्ज के ब्याज पर छूट सीमा को 1.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये कर दिया गया है।
· छोटे उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए 15 फीसदी की दर से निवेश भत्ता उस विनिर्माण कंपनी को दिया जाएगा जो किसी साल के दौरान नए संयंत्र एवं मशीनरी में 25 करोड़ रुपये से भी ज्यादा का निवेश करेगी।
· अर्थव्यवस्था में बचत दर बढ़ाने के लिए पब्लि‍क प्रॉविडेंट फंड के तहत निवेश सीमा 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये कर दी गई है।
बालिकाओं के लिए योजना और निर्भया फंड
· बालिकाओं एवं महिलाओं की गरिमा और सुरक्षा सुनिश्चि‍त करने के लिए निर्भया फंड बनाया गया है। आर्थि‍क मामलों के विभाग (डीईए) के सार्वजनिक खाते में कॉर्पस के रूप में यह फंड बनाया गया है। इस कोष में 2000 करोड़ रुपये डाले गए हैं। जब भी किसी मंत्रालय या विभाग की ऐसी योजना को मंजूरी दी जाती है जिसका वित्त पोषण निर्भया फंड से होना तय किया जाता है तो उस मंत्रालय या विभाग को समुचित आवंटन कर दिया जाता है और डीईए के कॉर्पस में उतनी ही राशि कम कर दी जाती है। निर्भया फंड से आवंटन निम्नलिखि‍त योजनाओं के लिए किया गया है :
· सार्वजनिक सड़क परिवहन में महिलाओं की सुरक्षा पर योजना, जिसका संचालन सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के हाथों में है - 50 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।
· विशेषकर बालिकाओं के लिए एक योजना अधि‍सूचित की गई है। इस योजना के तहत बालिकाओं की शि‍क्षा एवं विवाह के समय धनराशि‍ दी जाएगी।
बगैर दावों वाली राशि‍ पर गौर करने के लिए समिति
· केंद्रीय वित्त मंत्री ने आरबीआई के डिप्टी गवर्नर की अध्यक्षता में एक समिति के गठन को मंजूरी दी है। यह समिति पीपीएफ, डाकघर, बचत योजनाओं इत्यादि में बगैर दावों के पड़ी राशि‍ पर गौर करेगी और यह सुझाव देगी कि इस रकम का इस्तेमाल किस तरह से वरिष्ठ नागरिकों के हित में किया जा सकता है।
· आरबीआई द्वारा परिभा‍षि‍त दायरे के आधार पर डाकघरों एवं सार्वजनिक बैंकों की विभि‍न्न योजनाओं में बगैर दावों के पड़ी रकम का मूल्यांकन किया जाएगा।
· समिति यह भी सुझाएगी कि बगैर दावों वाली इस तरह की रकम को एक साझा पूल में किस तरह से डाला जा सकता है। समिति यह सुझाव भी देगी कि इस तरह के पूल को सरकारी खाते में रखा जाए या उसके बाहर रखा जाना चाहिए।
विनिवेश
· वास्तविक विनिवेश : सरकार ने सेल की 5 फीसदी इक्वि‍टी का विनिवेश किया है और उससे 1,720 करोड़ रुपये हासिल किए हैं। स्टॉक एक्सचेंजों के जरिए शेयरों का यह ऑफर फॉर सेल (ओएफएस) अच्छी खरीदारी एवं कम डिस्काउंट के लिहाज से काफी ब‍ढ़ि‍या रहा।
· विनिवेश पर कार्य योजना को मूर्त रूप देना : सीसीईए ने कोल इंडिया लि. (10 फीसदी इक्वि‍टी), ओएनजीसी (5 फीसदी), एनएचपीसी (11.36 फीसदी), पीएफसी (5 फीसदी) और आरईसी (5 फीसदी) के विनिवेश प्रस्तावों को मंजूरी दी। सरकार का मानना है कि सीपीएसई के विनिवेश से उनकी उत्पादन क्षमता बढ़ेगी, जनता की भागीदारी बेहतर होगी और प्राथमिकता वाले सरकारी सामाजिक-आर्थि‍क कार्यक्रमों के लिए संसाधन जुटाने में मदद मिलेगी।
· विनिवेश कार्यक्रम को और ज्यादा समावेशी बनाया गया : इससे पहले ओएफएस में छोटे निवेशकों के लिए कोई आरक्षण नहीं था। हालांकि, 8 अगस्त 2014 को सेबी ने यह स्पष्ट कर दिया कि ओएफएस का न्यूनतम 10 फीसदी छोटे निवेशकों के लिए आरक्षि‍त रखा जाएगा और इसके साथ ही उन्हें डिस्काउंट भी दिया जाएगा। बाद में सरकार ने ओएफएस का 20 फीसदी तक छोटे निवेशकों के लिए आरक्षि‍त रखे जाने को मंजूरी दे दी। यही नहीं, छोटे निवेशकों को डिस्काउंट पर भी शेयर आवंटित किए जा सकते हैं। इससे विनिवेश कार्यक्रम में आम जनता की भागीदारी बढ़ने की आशा है।
· आम जनता की न्यूनतम हिस्सेदारी वाले मानक : अगस्त 2014 में सेबी ने हर सूचीबद्ध सीपीएसई के लिए आम जनता की न्यूनतम हिस्सेदारी वाले मानकों में संशोधन कर दिया। इस संशोधन के बाद हर सूचीबद्ध सीपीएसई को अपने यहां आम जनता की न्यूनतम हिस्सेदारी को तीन साल के भीतर कम-से-कम 25 फीसदी के स्तर पर लाना होगा। इससे भी विनिवेश को नई गति मिलने की आशा है।
स्वच्छ भारत अभि‍यान के लिए कदम
· कंपनियों की ओर से कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) वाला कोष और लोगों तथा परोपकारियों से योगदान आकर्षि‍त करने के लिए स्वच्छ भारत कोष (एसबीके) बनाया गया है। माननीय प्रधानमंत्री ने स्वच्छ भारत मिशन के जरिए महात्मा गांधी की 150वीं जयंती यानी वर्ष 2019 तक स्वच्छ भारत के लक्ष्य को पाने के लिए 15 अगस्त 2014 को आम जनता से जो आह्वान किया था उसी के मद्देनजर यह कोष बनाया गया है।
· घर की देखभाल (हाउस कीपिंग) से जुड़े कार्यकलापों को दैनिक, साप्ताहिक एवं मासिक गतिविधि‍यों में विभाजित किया गया है ताकि बेहतर क्रियान्वयन एवं मॉनीटरिंग संभव हो सके।
· कचरा निपटान खासकर ई-वेस्ट, फर्नीचर, पुराने अखबारों, पुराने वाहनों इत्यादि के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। कचरा निपटान पर तिमाही रिपोर्ट सचिव द्वारा तैयार एवं स्वीकृत की जाएगी।
· कमरों के निरीक्षण एवं सप्ताह या माह का सबसे साफ कमरा घोषि‍त करने के लिए साफ-सफाई समिति का गठन किया जाएगा।
· साफ-सफाई की आदतन अनदेखी करने वालों या कसूरवारों के खि‍लाफ कार्रवाई की जाएगी।
· जागरूकता बढ़ाने के लिए विशेष अभि‍यान।
                                                                                                                                  SARTHAK IAS

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